मनुष्य जब जन्म लेता है और मनुष्य जब इस संसार को छोड़ कर जाता है। इसके मध्य का काल जीवन कहलाता हे। और इस जीवन में इस संघर्ष तो करना ही पड़ता है। कभी शिक्षा के लिए कभी काम के लिए। कभी वास्तविक युद्ध करना पड़ता हे किन्तु इस संघर्ष का सामना करने के लिए प्रकृतिने हममे एक और गुण भी दिया हे। प्रयास।
कभी किसी छोटे बालक को देखा हे। न कुछ बोल पता हे न कुछ समाज पता हे किन्तु अपने घुटनो के बल पर समस्त आंगन नापनेका प्रयास करता हे। खड़ा होता हे, गिरता हे फिर खड़ा होता हे और अंततः वो चलना सीख ही जाता हे। किउकी वो अपने मन से नहीं हारता।
जीवन में युद्ध क्षेत्र कही आएंगे। कभी कभी हार का सामना भी करना होगा। किन्तु हारता केवल वो हे जो मनसे हार जाता हे। इसीलिए कहते हे युद्ध रण भूमि से पहले मन भूमि में लाडे जाते हे। मैदान में हरने वालोंको कई अवसर मिलते हे किन्तु मन से हरने वालोंको नहीं। राधे राधे।
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